अभिलेख

सदस्यता समाप्त प्रक्रिया १५ जुलाई २०१० से

हम हिन्दुस्तान का दर्द के लेखकों की सूची जारी कर रहे है इस सूची जारी करने का तात्पर्य है की इस सूची में से जो लेखक हिन्दुस्तान का दर्द पर सक्रिय नहीं रह पा रहे है उनकी सदस्यता समाप्त की जा रही है,सदस्यता समाप्त करने  की प्रक्रिया १५ जुलाई २०१० से प्रारंभ होगी,इसलिए निवेदन है की जो लेखक अपनी सदयस्ता को बरक़रार रखना चाहते है,वो जल्दी से जल्दी   mr.sanjaysagar@gmail.com पर संपर्क करें  -संजय सेन सागर   

   

‘हिन्दुस्तान का दर्द’

”हिन्दुस्तान का दर्द”में कुछ तकनीकी खराबी के चलते कुछ बदलाब किये जा रहे है तथा कुछ दिनों से हो रही परेशानी के लिए हमें खेद है,इन नए परिवर्तनों के बारे में आप क्या सोचते है अपनी राय से अवगत कराएँ  

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नया बर्ष आपको तथा आपके परिवार जनों को मंगलमय हो.

दोस्तों हिन्दुस्तान का दर्द का काफिला काफी हद तक बढ चुका है और इसमें हमारे आप जैसे सहयोगी मित्रों का साथ रहा है ..

तो दोस्तों आशा है की आप लोगों का साथ यूँ ही बना रहेगा और २०१० में हम कई और लक्ष्यों को हासिल करने में कामयाब हो पाएंगे..दोस्ती बस शर्त इतनी है की हम मिलकर रहे..एकता के साथ रहे….
संजय सेन अगर आपके किसी काम आ सकता है तो बेहिचक संपर्क करें ,
और रही बात मेरी तो
मैं आप लोगों के सहारे के बिना एक कदम भी नहीं चल सकता सो मेरे साथ इस प्यार को बनाये रखें…

नया बर्ष आपको तथा आपके परिवार जनों को मंगलमय हो..

संजय सेन सागर

09907048438

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संजय सेन सागर – होली मुबारक हो….

हिन्दुस्तान का दर्द’‘के समस्त लेखकों एवं पाठकों को रंगों का यह रंगीला त्यौहार ”होली”मुबारक हो…
आइये होली के इस ख़ास दिन से हम सब प्रण करें  प्रकृति को बचाने,एक हरा भरा भारत बसाने की!
     सूखी होली मनाएं,केमिकल युक्त रंगों का उपयोग न करें.साथ ही साथ दूसरों के लिए दुआ करें जो इन रंगों का अहसास नहीं कर पाते..
”हिन्दुस्तान का दर्द” आप सभी के उज्जवल भविष्य एवं प्रगतिशील वर्तमान की कामना करता है,आप सभी से आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की  ”हिन्दुस्तान का दर्द” के साथ अपना है असीम प्यार बनायें रखेंगे…   


संजय सेन सागर   

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”हिन्दुस्तान का दर्द” से जुड़िये

देश की राजनीति को लग चुका है अभिशाप ,गुरु कर रहे है शिष्यों के साथ पाप,अस्पतालों मे हो रही है बच्चों की हेराफेरी,पुलिस को जीने के लिए जरुरी है घूसखोरी,खेलो मे खिलाडियों को रास आ रही है मैच फिक्सिंग , धार्मिक पत्रों के कलाकारों मे बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट , संसद मे भी वोट के बदले नोट !देश के इसी तरह के गर्मागर्म मुद्दों पर आधारित ”हिन्दुस्तान का दर्द” आपको मौका देता है अपनी बात कहने का! तो खामोश मत रहिये अपनी बात कहिये…..अगर आप भी इस ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो अपना ईमेल अकाउंट आपके फ़ोन नंबर और पते के साथ हमें-mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-9907048438 आगे पढ़ें के आगे यहाँ

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देश की राजनीति को लग चुका है अभिशाप ,गुरु कर रहे है शिष्यों के साथ पाप,अस्पतालों मे हो रही है बच्चों की हेराफेरी,पुलिस को जीने के लिए जरुरी है घूसखोरी,खेलो मे खिलाडियों को रास आ रही है मैच फिक्सिंग , धार्मिक पत्रों के कलाकारों मे बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट , संसद मे भी वोट के बदले नोट !देश के इसी तरह के गर्मागर्म मुद्दों पर आधारित ”हिन्दुस्तान का दर्द” आपको मौका देता है अपनी बात कहने का! तो खामोश मत रहिये अपनी बात कहिये…..अगर आप भी इस ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो अपना ईमेल अकाउंट आपके फ़ोन नंबर और पते के साथ हमें-mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-9907048438

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कोई हिंदी पर भी ध्यान दो

दीपिका कुलश्रेष्ठ

Journalist, bhaskar.com

हाल ही में अंग्रेजी भाषा में शब्दों का भंडार 10 लाख की गिनती को पार कर गया पर हमारी मातृभाषा हिंदी का क्या, जिसमें अभी तक मात्र 1 लाख 20 हज़ार शब्द ही हैं। कुछ लोगों का मानना है कि अंग्रेजी भाषा का 10 लाख वां शब्द ‘वेब 2.0’ एक पब्लिसिटी का हथकंडा है और कुछ नहीं। जो भी हो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में अंग्रेजी भाषा में सर्वाधिक शब्द हैं।

विभिन्न भाषाओं में शब्द-संख्या

अंग्रेजी- 10,00,000

चीनी- 500,000+

जापानी- 232,000

स्पेनिश- 225,000+

रूसी- 195,000

जर्मन- 185,000

हिंदी- 120,000

फ्रेंच- 100,000

(स्रोत- ग्लोबल लैंग्वेज मॉनिटर 2009)

अंग्रेजी में उन सभी भाषाओं के शब्द शामिल कर लिए जाते हैं जो उनकी आम बोलचाल में आ जाते हैं। लेकिन हिंदी में ऐसा नहीं किया जाता। जब जय हो अंग्रेजी में शामिल हो सकता है, तो फिर हिंदी में या, यप, हैप्पी, बर्थडे आदि जैसे शब्द क्यों नहीं शामिल किए जा सकते? वेबसाइट, लागइन, ईमेल, आईडी, ब्लाग, चैट जैसे न जाने कितने शब्द हैं जो हम हिंदीभाषी अपनी जुबान में शामिल किए हुए हैं लेकिन हिंदी के विद्वान इन शब्दों को हिंदी शब्दकोश में शामिल नहीं करते। कोई भाषा विद्वानों से नहीं आम लोगों से चलती है। यदि ऐसा नहीं होता तो लैटिन और संस्कृत खत्म नहीं होतीं और हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू आदि भाषाएं पनप ही नहीं पातीं। उर्दू तो जबरदस्त उदाहरण है। वही भाषा सशक्त और व्यापक स्वीकार्यता वाली बनी रह पाती है जो नदी की तरह प्रवाहमान होती है अन्यथा वह सूख जाती है

क्या है आपकी राय क्या हिंदी में नए शब्दों को जगह दी जनि चाहिए,अपनी राय कमेंट्स बॉक्स में जाकर दें!

देनिक भास्कर.कॉम से साभार

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हिन्दुस्तान का दर्द से जुड़ने का मौका,सभी बुद्धिजीवी लेखक आमंत्रित है


देश की राजनीति को लग चुका है अभिशाप ,गुरु कर रहे है शिष्यों के साथ पाप,अस्पतालों मे हो रही है बच्चों की हेराफेरी,पुलिस को जीने के लिए जरुरी है घूसखोरी,खेलो मे खिलाडियों को रास आ रही है मैच फिक्सिंग , धार्मिक पत्रों के कलाकारों मे बढ रही है किसिंग !जनता से ख़रीदे जा रहे है वोट , संसद मे भी वोट के बदले नोट !देश के इसी तरह के गर्मागर्म मुद्दों पर आधारित ”हिन्दुस्तान का दर्द” आपको मौका देता है अपनी बात कहने का! तो खामोश मत रहिये अपनी बात कहिये…..अगर आप भी इस ब्लॉग पर लिखना चाहते है तो अपना ईमेल अकाउंट आपके फ़ोन नंबर और पते के साथ हमें-mr.sanjaysagar@gmail.com पर भेजें और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें-9907048438

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