अभिलेख

जवाहर लाल नेहरू और लेडी माउंटबेटन

लोग कहते हैं इस लव स्टोरी ने भारत के इतिहास को प्रभावित किया है। लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि दोनों के बीच रुहानी संबंध था। साथ ही वह यह भी कहती हैं कि कई बार मेरी मौजूदगी उन दोनों के लिए असहजता की स्थिति पैदा कर देती थी। दोनों घंटों तक कमरे में अकेले रहते थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लेकिन यह साबित कोई नहीं कर पाया कि दोनों में शारीरिक संबंध थे। वैसे कुछ चीजें साबित करने के लिए नहीं होती।

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भूतनी का भोग..

बहुत दिनों में बाद मई शहर से गाँव गया क्यो की मेरे दादा जी का निधन हो गया था ..जब उनका क्रिया कर्म ख़त्म हुआ तो मई अपनी मौसी के घर गया ,मई वहा शाम को पहुचा था सब लोगो के साथ खाना खाया ओउर सो गया , जब सुबह उठा तो नित्य क्रिया कर्म से फुर्सत होने के बाद ,नदी में स्नान किया और मौसी के पर आ गया वहा देखा तो सब लोग काम मतलब साफ़ सफाई में लगे थे तो मैंने सोचा की चाय पीना जरुरुई तो मैंने एक लडके से कहा की यहाँ कही पर दूकान है, तो वह बोला की यहाँ पर दूकान नही है ,और बाज़ार बहुत दूर पर है, तब उसने बताया की १२ बह्जे के बाद ही चाय और खाना मिलेगा। वह आज १२ व्यंजन बनेगा तो मैंने पूछा क्या आज कोई त्यौहार है क्या? नही नही त्यौहार नही आज हमारे घर से भूटानी को खाना जायेगा। ये बात हमें अटपटी लगी, मैंने सोचा चलो देखा जाएगा। आगे क्या होता , कौन है भूतनी ..वह समय भी आ गया सारे घर के लोग सज बज के गाजे बाजे के साथ उस जंगल की और चल दिए । मई भी उनके साथ चल दिया , जंगल में पहुचने के बाद एक मोटा पेड़ था उसके नीचे गोबर कई लेप किया ओउर सारा खाना सजाया गया ओउर वही पर समस्त खाना रख लोग आने लगे। मेरी उत्सुकता बढ़ गई मैंने सोचा कहा है भूतनी मई एक बूढे आदमी से पूछा की कहा भूतनी तो वे कहने लगे की ”करीब १०० साल पहले की बात इस पेड़ से गिर कर एक लड़की मर गई थी। उसके १० साल बाद इसी पेड़ के नीचे करीब १० लडके इसी पेड़ के नीचे एक -एक करके पर गए। जब हम लोगो ने बहुत बिनती की वह एक शर्त पर राज़ी हुयी हमें हर एक घर हर एक दिन अच्छे पकवान चाहिए तब से यह प्रथा चालू है, अगर किसी कारन बश जिसका नंबर रहता वह समर्थ है, उसके आगे वाला करता है, अगर जो नही करता उसका बहुत बड़ा ही नुस्कान होता, है, मई समझ गया की इस गाँव में अब भी अंध विशवास भरा पड़ा है, खिलाते रहो भूतनी को भोग..