शाम होते ही गाँव के मंदिर की घंटी बंजने लगी तभी उसके समीप मस्जिद मे मगरिब की अजान होने लगी! अजान की आवाज़ मंदिर की घंटी से दबने लगी ! अगले ही दिन सुबह मुल्लाजी ने अपने ख़ास लोगों से चर्चा करके एक लाउड स्पीकर लगवा दिया ,अगले दिन मंदिर की घंटियों की आवाज़ से दबने लगी तो मंदिर मे भी लाउड स्पीकर लग गया!अब दोनों आवों मे गडमड होने लगी !!अब न मंदिर की आवाज़ आ रही थी न ही मस्जिद की !!!
सिर्फ बातावरण मे एक सर व्याप्त था !!