अभिलेख

आईआईटी के छात्र ने की प्रेमिका की हत्‍या



शिमला. टेक्सटाइल इंजीनियर का ककहरा सीख रही बिहार के पटना की प्रगति ने जिस छात्र के संग प्रेम प्रसंग की कहानी बुनी उसने अपने हाथों से ही प्रेमिका का ही खून कर डाला। हिमाचल पुलिस ने जद्दोजहद के बाद मृतका की पहचान की। शिमला पुलिस इस सिलसिले में पटना पुलिस के अलावा मृतका के अभिभावकों से भी लगातार संपर्क में है।

उधर, पुलिस ने चाकू से गला रेत कर किए मर्डर के आरोपी गौरव वर्मा की भी पहचान कर ली है। वह रुड़की में आईआईटी का छात्र है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने हिमाचल से लेकर उत्तर-प्रदेश और दिल्ली से लेकर पटना तक खुफिया जाल बिछा दिया है। कई राज्यों की पुलिस से भी शिमला पुलिस ने सहयोग मांगा है।

पुलिस का दावा है आरोपी लाख कोशिश करें वह उसके बिछाए नेटवर्क में फंस कर ही रहेगा। पुलिस ने आरोपी की भी यूं ही नहीं पहचान नहीं की। आईआईटी दिल्ली से लेकर आईआईटी रुड़की तक के अधिकारियों से संपर्क कर आरोपी के बारे में मालूमात की। आरोपी का मोबाइल स्विच ऑफ जा रहा है। लेकिन उसके लैंडलाइन पर पुलिस ने उसके बारे में सब कुछ जान लिया। पूरे मामले की तफ्तीश शिमला के एसएसपी आर एम शर्मा की देखरेख में आगे बढ़ रही है।

पुलिस इस बात के सुराग तलाशने में जुटी हुई है कि आखिर पटना की लड़की के तार उत्तर-प्रदेश के गोंड जिले के गौरव से कैसे जुड़े। पुलिस मर्डर के पीछे की असलियत जानने के लिए भी जद्दोजगह कर रही है। पुलिस को प्रारंभिक छानबीन में ये प्रेम प्रसंग का ही मामला नजर आता है। हालांकि हकीकत बाद में जांच पूरी होने पर ही मालूम हो सकेगी। फिलहाल पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए कडी़ मशक्कत कर रही है। पुलिस को उम्मीद है कि आरोपी उसकी गिरफ्त में जल्द आ जाएगा।

होटल मालिक नहीं करते सहयोग

शिमला के एसएसपी आरएम शर्मा की मानें तो होटल मालिक पुलिस को अपेक्षित सहयोग नहीं करते। उनका कहना है कि जो भी होटल मे पर्यटक आता है, उसका मोबाइल नंबर जरूर लिखा जाना चाहिए ताकि आरोपी तक जल्द पहुंचा जा सके। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरे भी होटलों में लगे होने चाहिए। उन्होंने अब फिर से होटल मालिक को जरूरी निर्देश भी दिए हैं।

पहले भी हुए खूनी खेल

शिमला यूं तो पूरी दुनिया में सैरगाह के लिए मशहूर है, लेकिन जिस तरीके से यहां बीते दो दशक के भीतर मर्डर हुए उससे ये कत्लगाह के रूप में तबदील होती भी नजर आई। नब्बे के दशक में छब्बीलदास मर्डर केस आज भी शिमलावासियों के जहन वैसा ही है। नेपाली नौकरों ने इस दोहरे मर्डर को अंजाम दिया था, लेकिन आरोप अब भी नेपाल में खुलेआम घूम रहे हैं। नेपाल के साथ प्रत्यार्पण संधि ने होने का खामियाजा पीड़ित परिवार को भुगतना पड़ रहा है। इस केस का आज तक कोर्ट में चालान नहीं हो सका है।

इसके बाद सेंट थॉमस स्कूल और सेना प्रशिक्षण कमान के पास ही शिमला के जाने माने व्यवसायी हर्ष बालजी की अज्ञात व्यक्तियों ने गोली मार कर हत्या की। पहले जांच जिला पुलिस और फिर सीआईडी को सौंपी। बाद में मामला सीबीआई के हवाले किया गया। कुछ वर्ष पहले राजधानी के ऑक्सलैंड होटल में इसी होटल के मालिक और उसकी मां का मर्डर हुआ। आरोपी श्यामलराव रेड्डी को फांसी की सजा हुई, लेकिन वह सजा पाने से पहले ही फरार हो गया। आगे पढ़ें के आगे यहाँ

क्यूं हर बार रैंप पर ही कपड़े नहीं देते साथ

दुनिया में कहीं भी फैशन शो हो और उसमें कोई विवाद न उठे ऐसा कैसे हो सकता है। नई दिल्ली इन दिनों चल रहे विल्स लाइफस्टाइल इंडिया फैशन शो भी इससे अछूता न रहा। मशहूर डिजाइनर रितु कुमार के शो के दौरान खूबसूरत मॉडल जब रैंप पर उतरीं तो सभी की निगाह उनके पैंट पर जा कर टिक गई। नजर टिकने की भी पुख्ता वजह थी। दरअसल मॉडल ने जो पैंट पहन रखा था, उसकी चैन बंद करना शायद वो भूल गई थी। ऐसा नहीं है कि यह देश में कोई पहला मामला है। पहले भी कई फैशन शो इन्हीं तरह की लापरवाहियों के चलते सुर्खियां बटोर चुके हैं। हालांकि इस बात पर बहस आज भी जारी है कि ऐसा अनजाने में हो जाता है या फिर जानबूझकर किया जाता है।वर्ष 2008 में विल्स फैशन शो के दौरान एक मॉडल की ड्रेस जब कंधे से खिसक गई तो उसने उस पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया और पूरे आत्मविश्वास के साथ रैंप पर चलती रहीं। इससे पहले वर्ष 2006 में तो हद हो गई थी। देश की मशहूर मॉडल केरोल ग्रेसिया जब रैंप पर उतरीं तो कैमरे का फ्लैश लगातार उन्हीं की ओर चमक रहे थे। चमकते भी क्यों नहीं। केरोल ने जो ड्रेस पहनी हुई तो वह अचानक खुल गई। लेकिन दाद देनी होगी कैरोल की। उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी ड्रेस को ठीक किया और अपनी कैटवॉक पूरी की। हालांकि मुंबई पुलिस ने इस वजह से उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था।निगार खान भी ऐसे अनुभव से गुजर चुकी हैं। नार्वे में एक फैशन शो के दौरान निगार की ब्रा छाती से खिसक गई थी। नतीजतन सारे कैमरों ने उनके खुले हुए ब्रेस्ट को कैमरे में कैद कर लिया। कई चैनलों ने इस पूरे सीन को ब्लर करके टीवी पर भी दिखाया। यह बात है वर्ष 2005 की। सैकड़ों की तादाद में लोगों ने निगार को बिना कपड़ों के देखा। गौहर खान के साथ भी ऐसा कुछ हुआ था। उन्होंने जो ड्रेस पहनी थीं, उसके पीछे की चेन खुली थी। गौहर खान को इस वजह से काफी शर्मिदगी उठानी पड़ी थी। इसी तरह वर्ष 2004 में सिडनी में एक फैशन शो के दौरान

उस वक्त की मिस यूनिवर्स जेनिफर हॉकिंस की लंबी-चौड़ी ड्रेस खिसक गई और वहां मौजूद लोगों के साथ ही पूरी मीडिया ने भी उन्हें खुले बदन देखा।

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मौलिक प्रचार और टॉयलेट में विचार



दीपावली के मौके पर मल्टीप्लैक्स सिनेमाघरों के टॉयलेट्स में विधु विनोद चोपड़ा की 25 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ के विशेष स्टिकर लगाए गए हैं, जिनमें आमिर खान और दो सहयोगी कलाकार कमोडनुमा सीट पर बैठे हैं और उनकी पीठ कैमरे की ओर है।

ज्ञातव्य है कि विगत वर्ष दीपावली पर शाहरुख खान अभिनीत फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के प्रदर्शन के समय आमिर खान की प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘गजनी’ में प्रयुक्त आमिर की विशेष हेयर स्टाइल के पोस्टर, पुतले और मॉडल भी सिनेमाघरों में प्रस्तुत थे।

प्रचार के इस अनोखे ढंग की चर्चा फिल्म से ज्यादा हुई। आज के दौर में केवल अच्छी फिल्म बनाने के साथ फिल्मकार का काम समाप्त नहीं होता, वरन गहरे और व्यापक प्रचार की योजना भी क्रियान्वित करनी होती है।

एक ऐसी लहर को जन्म देना होता है कि अधिकतम दर्शकों को लगे कि अगर यह फिल्म नहीं देखी, तो कुछ नहीं किया। आज दर्शक के पास मनोरंजन के अनेक विकल्प हैं और उसे लुभाना इतना आसान नहीं है।

मार्केटिंग का विज्ञान बहुत विकसित है और इस क्षेत्र में देश के अव्वल दर्जे के दिमाग कार्यरत हैं। उन्हें अवाम के सपनों और डर का अच्छा खासा ज्ञान है।

आमिर खान ने ‘लगान’ फिल्म का निर्माण और मार्केटिंग इस ढंग से की कि बाद में अनेक संस्थानों में वह पाठय्क्रम बन गई।

इसी तरह ‘तारे जमीं पर’ और ‘जाने तू या जाने ना’ भी योजनाबद्ध ढंग से प्रदर्शित हुईं। चेतन भगत के उपन्यास ‘फाइव प्वाइंट समवन’ से प्रेरित ‘थ्री इडियट्स’ में मनोरंजन जगत के तीन विलक्षण प्रतिभाशाली लोग मिले हैं-विधु विनोद चोपड़ा, राजकुमार हिरानी और आमिर खान।

प्रदर्शन पूर्व अवलोकन से ज्ञात हुआ है कि यह ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ से ज्यादा रोचक और मनोरंजक फिल्म है। आमिर खान ने भी स्वीकार किया है कि राजकुमार हिरानी विलक्षण प्रतिभा हैं।

कहा जाता है कि आबादी के युवा प्रतिशत के मामले में भारत अग्रणी देश है। शिक्षा संस्थान की पृष्ठभूमि पर रची यह अभिनव युवा कथा मनोरंजन करने के साथ ही सोचने पर मजबूर करने वाली महत्वपूर्ण फिल्म सिद्ध हो सकती है।

कैंपस के टॉयलेट की दीवारों पर लिखी इबारतों से युवाओं के आक्रोश के साथ ही उनके हास्य का माद्दा भी जाहिर होता है। दरअसल दुनियाभर के आम शौचालयों की दीवारों पर लिखे हुए को ‘ग्रेफिटी’ कहते हैं और इसी नाम की हॉलीवुड फिल्म बन चुकी है।

हालांकि फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ का कथानक ग्रेफिटी नहीं है। मुमकिन है कि एक या दो दृश्य टॉयलेट के हों। इसी बहाने टॉयलेट की दीवारों पर अभिव्यक्त आक्रोश, कुंठाओं और भड़ास की बात करें।

कहीं ऐसा तो नहीं कि अन्य स्थानों पर प्रतिबद्ध बातें इन दीवारों पर लिख दी जाती हैं! कुंठाओं के जन्म की जड़ में भी अज्ञान के साथ ढेरों बंधन और रुकावटें हैं।

बाथरूम में बिताया समय मनुष्य का अपना नितांत निजी समय होता है और उसमें परम गोपनीयता भी है, अत: भड़ास की अभिव्यक्ति के लिए सबसे सही जगह है। शायद आदमी अपने नजदीक यहीं आता है। अनेक रचनाधर्मी और वैज्ञानिकों को नए विचार इसी जगह मिले हैं, परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि अन्य जगह विचार नहीं आते।

दरअसल जीवन में इतने भय और बंदिशें हैं कि छोटे से बाथरूम की संपूर्ण स्वतंत्रता में मन की भड़ास निकल जाती है। सारी व्यवस्थाएं भय के आधार पर खड़ी हैं और सत्ता भयमुक्त आदमी से हिल जाती है। सत्ता की मकड़ी बहुत महीन जाल बुनती है। बाथरूम एक छोटा सा टापू है और चहुंओर हैं आक्रामक लहरें।

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अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद जयंती पर विशेष रचना

आचार्य संजीव ‘सलिल’

तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं….

तुम निडर थे
हम डरे हैं,
अपने भाई से.
समर्पित तुम,
दूर हैं हम
अपनी माई से.
साल भर
भूले तुम्हें पर
एक दिन ‘सलिल’
सर झुकाए बन गए
विनत सलाम हैं…

तुम वचन औ’
कर्म को कर
एक थे जिए.
हमने घूँट
जन्म से ही
भेद के पिए.
बात या
बेबात भी
आपस में
नित लड़े.
एकता?
माँ की कसम
हमको हराम है…

तुम
गुलाम देश में
आजाद हो जिए
और हम
आजाद देश में
गुलाम हैं….