अभिलेख

हिन्दुस्तान का दर्द के २००० पोस्टों का जश्न

मुझे यह बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है की हिन्दुस्तान का दर्द के आज एक पोस्ट के साथ २००० पोस्टों का काफिला पूरा हो चूका है जिसके लिए संजय सेन सागर जी को हार्दिक बधाई साथ ही साथ हिन्दुस्तान का दर्द के सभी लेखों और पाठकों को भी हार्दिक बधाई ,यह मंच इसी तरह प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है इसी शुभकामना के साथ……….

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बिजली न डीजल पानी खींचे हर पल

उज्जैन से 20 किमी दूर छोटे से गांव कांकरिया चीराखान में नए दशक की उम्मीदें आकार ले रही हैं। यहां एक छोटे से वर्कशॉप में सिर झुकाए, हाथों में ग्रीस लगाए राधेश्याम शर्मा एक ऐसी मशीन बनाने में जुटे हैं जो बिना बिजली या डीजल के 24 घंटे बोरवेल से पानी खींचेगी। इस प्रयोग के सफल होने पर न केवल बिजली की कमी से जूझ रहे लाखों किसानों को फायदा होगा, बल्कि प्रदूषण न होने के कारण पर्यावरण की सेहत भी सुधरेगी।

शर्मा बताते हैं, यह मशीन न तो खराब होगी, न ही इसमें कोई अतिरिक्त खर्च होगा। यानी बिजली, डीजल, मोटरपंप की मरम्मत के बार-बार के खर्च से हमेशा के लिए छुटकारा। शर्मा की मानें तो हवा और पानी के दबाव से चलने वाली यह मशीन 24 घंटे पानी देती रहेगाी। इसकी लागत 50 हजार से एक लाख रुपए के बीच आने का अनुमान है। एक स्थानीय बैंक ने इसके लिए उन्हें आर्थिक मदद देने का भरोसा दिया है। महज हायर सेकंडरी तक पढ़े राधेश्याम को इंजीनियरिंग विरासत में मिली है। उनके पिता जगदीशचंद शर्मा मोटर मैकेनिक रह चुके हैं, ताऊ भी गांव में ही मशीनें सुधारने के लिए वर्कशॉप चलाते हैं।

ग्रामीणों और किसानों की मशीनें ठीक करते-करते राधेश्याम कब इनोवेटर बन गए, उन्हें पता ही नहीं चला। महज 31 साल के राधेश्याम इस समूचे क्षेत्र में कृषि उपकरणों का आविष्कारक माने जाते हैं। वे ऐसे उपकरण बनाने में जुटे हुए हैं, जो किसान को सहूलियत दें, समय और पैसा भी बचाए, साथ ही बिजली और डीजल की खपत भी रोकें।
वे एक ऐसी मशीन भी बनाना चाहते हैं, जो बोरवेल में फंसी मोटर निकाल सके। इसके लिए वे जीप का प्रयोग करेंगे। मशीन बनाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने जीप जरूर खरीद ली है। वे इससे पहले बैलचलित छिड़काव वाली मशीन बना चुके हैं। यह दवा छिड़काव के साथ निदाई के काम भी आती है। वे बताते हैं, मजदूरों पर 1000 रु. खर्च करने पर जितना काम होता है, उतना काम यह मशीन 200 रु. के खर्च में कर देती है। वे अब तक ऐसी 17 मशीनें बेच चुके हैं।’
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ब्लैक न्यू इयर मुबारक हो


”हिन्दुस्तान का दर्द” देश में बढ़ रही अपराधिक गतिविधियों,छात्रों के द्वारा की जा रही आत्महत्याओं एवं देश में बढ रही आतंकबादी हरकतों का विरोध करता है..

हिन्दुस्तान का दर्द का यह विरोध दिखाई देगा उसके रंग एवं शब्दों की आग से….
तो देश के खुदगर्ज नेताओं एवं नागरिकों को यह ”ब्लैक न्यू इयर ” मुबारक हो….
संजय सेन सागर

संपादक

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जवाहर लाल नेहरू और लेडी माउंटबेटन

लोग कहते हैं इस लव स्टोरी ने भारत के इतिहास को प्रभावित किया है। लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि दोनों के बीच रुहानी संबंध था। साथ ही वह यह भी कहती हैं कि कई बार मेरी मौजूदगी उन दोनों के लिए असहजता की स्थिति पैदा कर देती थी। दोनों घंटों तक कमरे में अकेले रहते थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लेकिन यह साबित कोई नहीं कर पाया कि दोनों में शारीरिक संबंध थे। वैसे कुछ चीजें साबित करने के लिए नहीं होती।

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हमारा हिन्दुस्तान" बहुत जल्द नए रूप मे….!!!

प्रिये दोस्तों और पाठको,
मैं “हमारा हिन्दुस्तान” के नए रूप पर काम कर रहा हूँ…..जो लगभग पूरा होने वाला है तो बहुत जल्द “हमारा हिन्दुस्तान” को आप एक नए रूप मे देखेगे…इसलिए अगर आप उसके रूप मे बार – बार बदलाव देखें तो चौंकियेगा नही क्यूंकि उसके रूप पर काम चल रहा है । आगे पढ़े…..