अभिलेख

मुक्तक : आचर्य सन्जीव ‘सलिल’

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मुक्तक : आचार्य सन्जीव ‘सलिल’
जो दूर रहते हैं वही तो पास होते हैं.

जो हँस रहे, सचमुच वही उदास होते हैं.

सब कुछ मिला ‘सलिल’ जिन्हें अतृप्त हैं वहीं-

जो प्यास को लें जीत वे मधुमास होते हैं.

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पग चल रहे जो वे सफल प्रयास होते हैं

न थके रुक-झुककर वही हुलास होते हैं.

चीरते जो सघन तिमिर को सतत ‘सलिल’-

वे दीप ही आशाओं की उजास होते है.

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जो डिगें न तिल भर वही विश्वास होते हैं.

जो साथ न छोडें वही तो खास होते हैं.

जो जानते सीमा, ‘सलिल’ कह रहा है सच देव!

वे साधना-साफल्य का इतिहास होते हैं

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मुक्तक आचार्य संजीव ‘सलिल’

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मुक्तक
आचार्य संजीव ‘सलिल’
राष्ट्र जमीं का महज न टुकडा, यह आस्था-विश्वास हमारा.
तीर्थ, धर्म, मंदिर, मस्जिद, मठ, गिरजा, देवालय, गुरुद्वारा.
भाषा-भूषा-भेष भिन्न हैं, लेकिन ह्रदय भिन्न मत मानो-
कोटि-कोटि हम मात्र एक हैं, ‘जय भारत माँ’ सबका नारा.
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सत्ता और सियासत केवल साधन, साध्य न इनको मानो.
जनहित-राष्ट्रोत्थान एक ही लक्ष्य अटल अपना पहचानो. .
संसद और विधानसभा में वाग्वीर जो पहुँच गए हैं-
ठुकरा उनको, जन-सेवक चुन, जनगण की जय निश्चय जानो..
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देव, खुदा, रब, गौड, ईश्वर, गुरु, ऋषि भारत की संतान.
भारत जग में सबसे ज्यादा पावन, सबसे अधिक महान.
मंत्र, ऋचाएँ, श्लोक, आरती, आयत, प्रेयर औ’ अरदास.
वन्दन-अर्चन करें राष्ट्र का, ‘सलिल’ सतत का र्गौरव गान.
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संसद मंदिर लोकतंत्र का, हुल्लड़ जनगण का उपहास.
चला गोलियां मानव-द्रोही फैलाते नृशंस संत्रास.
मूक रहे गर इन्हें न रोका, तो अपराधी हम होंगे-
‘सलिल’ सत्य यह, क्षमा न हमको देगा किंचित भी इतिहास.
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‘बाजी लगा जान की, रोको आतंकी-हत्यारों को.
असफल हुआ सुरक्षा बल, क्यों मारा ना गद्दारों को?’
कहते जो नेता, सेना में निज बेटे पहले भेजें-
देश बचाते जान गँवाकर, नमन सिपहसालारों को..

एक पिता जो पीता है बेटी का दूध

अभी तक जॉर्जिया ब्राउन अपने आठ माह के बेटे को ब्रेस्टफीडिंग करवाती थी, यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन अब उसने अपनी पिता को भी ब्रेस्टफीड करवाना शुरू कर दिया है। जी हां, जॉर्जिया के पिता टिम भी अब बेटी का दूध पी रहे हैं।
यह बात सुनने में काफी अजीब लगती है, लेकिन एक सच्ची कहानी है। टिम ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि उसे कैंसर है।
टिम की कैंसर से लड़ाई
दरअसल जॉर्जिया के 67 वर्षीय पिता टिम कैंसर से पीड़ित है। टिम की कैंसर की बीमारी का पता जॉर्जिया की शादी से ठीक एक हफ्ते पहले चला। जॉर्जिया के अनुसार शादी के कारण मैं अपने पिता के साथ नहीं रह सकती थी और उनकी देखभाल भी नहीं कर सकती थी, लेकिन मैंने उनका काफी इलाज करवाया।
कीमोथैरेपी से उन्हें काफी फायदा भी पहुंचा। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें कैंसर कैसे हो गया। वे काफी तंदरुस्त और ऊर्जावान व्यक्ति थे।
टीवी पर फिल्म देख आया आइडिया
करीब एक साल बाद जॉर्जिया मां बनने वाली थी और एक बार फिर उसके पिता की तबियत काफी खराब हो गई। पता चला कि टिम का कैंसर शरीर के काफी हिस्सों में फैल चुका है। जॉर्जिया काफी निराश हो चुकी थी, तभी एक दिन अपने बच्चे को दूध पिलाते वक्त उसने टीवी पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म देखी।
वह फिल्म एक ऐसे व्यक्ति पर आधारित थी जिसे कैंसर था। फिल्म में बताया गया कि स्तन का दूध पीने से कैंसर की बीमारी से बचा जा सकता है। कैंसर से पीड़ित वह व्यक्ति रोज मिल्क बैंक से दूध लेकर पीता था।
बढ़ता है इम्यून सिस्टम
इसके बाद जॉर्जिया ने इंटरनेट पर इस तथ्य की खोज करना शुरू कर दी। कई दिनों तक सर्च करने के बाद जॉर्जिया को कई अमेरिकी शोध मिले जिसमें कहा गया कि ब्रेस्ट मिल्क पीने से कैंसर सेल्स नष्ट होते हैं। साथ ही इम्यून सिस्टम भी मजबूत बनता है जिससे कैंसर जैसी बीमारी से लड़ा जा सकता है।
घरवालों से ली सलाह
इस आइडिए को जॉर्जिया ने पिता टिम को बताया और उन्हें इसके लिए मना भी लिया। इसके बाद जॉर्जिया ने अपनी मां, पिता और भाई-बहनों से भी मशवराह लिया, तो सभी ने इस नेक काम के लिए हामी भर दी। पिछले छह माह से टिम जॉर्जिया का ही दूध पी रहे हैं।
हर दिन जॉर्जिया अपना दूध एक बाउल में निकालती है और उसके बाद उसे फ्रीज किया जाता है और फिर शेक बनाकर टिम को दिया जाता है। जॉर्जिया कहती हैं कि मैं बेहद खुश हूं कि मैं अपने पिता की मदद कर पा रही हूं। साथ ही घरवालों ने भी मेरा पूरा साथ दिया। उम्मीद है कि अब मेरे पिता कैंसर जैसी बीमारी से बेहतर तरीके से लड़ पाएंगे।
अपने पिता की जान बचाने के लिए इस बेटी के द्वारा उठाया यह कदम एक क्रांतिकारी कदम है। इस पर आप भी अपनी राय हमें भेज सकते हैं।
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