अभिलेख

‘ब्लॉग चर्चा” का शुभारंभ

हिन्दुस्तान का दर्द” आज से एक नए कालम का शुभारंभ करने जा रहा है जिसका नाम है ”ब्लॉग चर्चा” ब्लॉग चर्चा के अंतर्गत हम चर्चा करेंगे कुछ चुनिन्दा ब्लॉग के बारे में जिन्होंने ब्लॉग्गिंग की दुनिया में पहचान  तो हासिल की ही है साथ ही साथ ब्लॉग्गिंग को भी एक नयी दिशा प्रदान की है, ”ब्लॉग चर्चा” का मकसद होगा उस ब्लॉग के बारे में जानकारी और अधिक लोगों तक पहुँचाना तथा उसके सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं के बारे में बात करना.
   ”ब्लॉग चर्चा” को एक समीक्षा का नाम न दिया जाए तो बेहतर होगा क्योंकि शायद किसी भी ब्लॉग की समीक्षा कर पाना  हमारे लिए संभव नहीं है,सो हम चर्चे से ही काम चला लेंगे…
अगर आपको प्रकाशित जानकरी से किसी भी प्रकार की आपत्ति है तो हमें सूचित करें,हम उस पर कार्यवाही जरुर करेंगे,क्योंकि ये तो हमारा काम है..

तो आज   ”ब्लॉग चर्चा” की शुरुआत कर रहे है हम एक ऐसे ब्लॉग से जिसने ब्लॉग्गिंग की परिभाषा को इतना आसान बना दिया है   की आज ब्लॉग्गिंग बड़ी ही सहज और सरल लगने लगी है जबकि पहले ऐसा नहीं था..मैं जानता हूँ की आप सब समझ गए होंगे की मैं किस ब्लॉग की बात कर रहा हूँ और जो नहीं समझे है उन्हें मैं बता देता हूँ की हम बात कर रहे है ”हिंदी ब्लॉग टिप्स” की !

‘हिंदी ब्लॉग टिप्स” एक ऐसा नाम है जिसने ब्लॉग्गिंग की चीरफाड़ को इतनी सजग तरीके से किया है की आज ब्लॉग्गिंग की कठिन से कठिन तकनीक को भी आप एक क्लीक करते ही हल कर सकते है,अगर आपको ब्लॉग बनाना न आता हो कोई बात नहीं यहाँ आने के बाद आप अपना ब्लॉग बनाना सीख जायेंगे.
    अब आपने ब्लॉग बना लिया है लेकिन उस पर पाठक नहीं आ पा रहे है तो कोई बात नहीं उसकी जुगाड़ भी यही से हो जाएगी तो दोस्तों आपके ब्लॉग की ट्राफिक भी बढ़ गयी होगी,मेरे कहने का मतलब है की आप ब्लॉग्गिंग से जुडी किसी भी तकनीक और उससे जुडी समस्या का हल यहाँ आकर प्राप्त कर सकते है,बिलकुल निशुल्क!!

‘हिंदी ब्लॉग टिप्स” के संचालक 
आशीष खण्डेलवाल जी हां,यह वही नाम है जिसने  हिंदी ब्लॉग टिप्स के माध्यम से हम जैसे नौसिखिया ब्लोग्गरों को ब्लॉग्गिंग की आधुनिक तकनीक सिखाई है,मैं तो सच कहता हूँ आप खुद देख लीजिये हिन्दुस्तान का दर्द के जायदातर टूल्स इन्ही की देन है..


आशीष जी के बारे में जायदा जानकारी जुटाने में मैं सफल तो नहीं हो पाया लेकिन एक बहुत ही अन्दर की खबर है की यह ”जयपुर” में पाए जाते है जो राजस्थान में है यार!
एक बार मैं मुंबई में इनसे मिलते-मिलते रह गया था हुआ यूँ की ये महाशय एकता कपूर का interview लेने मुंबई गए हुए थे उस समय मैं भी मुंबई में हाथ पाँव मार रहा था.मैंने जैसे ही महावीर सेमलनी जी को फ़ोन लगाया [वो मुंबई में ही रहते है] तो उन्होंने बताया की वो आशीष की जो हवाई पट्टी पर छोड़कर अभी आये है ,देखा मेरी किस्मत मैं आशीष जी से नहीं मिल पाया और कुछ दिन बाद अपना बोरिया बिस्तर बाँध कर सागर आ गया ,बड़े भैया ये सागर मध्यप्रदेश में है      

आशीष जी की खासियत है की वो बिना किसी फायदे या नुकसान के हम जैसे लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहते है ओर यही एक हुनरमंद शख्स की पहचान है, ”ब्लॉग चर्चा” का मकसद किसी की तारीफ करना बिलकुल नहीं है लेकिन क्या किया जाये यहाँ सिर्फ तारीफ करने योग्य बातें ही है,वैसे हिन्दुस्तान का दर्द की दबंगता को हम किसी ऐसे ब्लॉग की चर्चा में दिखायेंगे को ब्लॉग जगत को बदनाम करने में लगे है,तो में मुद्दे से भटकना नहीं चाहता ओर मैं बात करता हूँ आशीष जी की, आशीष जी के बारे में सिर्फ दो शब्द कहूँगा ”आशीष ब्लॉग्गिंग को बहुत आगे ले जायेंगे और जिस तरह से ब्लॉग्गिंग की बारीकियों के बारे में उन्हें जानकारी है उससे लगता है की ब्लॉग्गिंग उनके लिए महज शौक ना होकर उससे जायदा भी कुछ है”

हिंदी ब्लॉग टिप्स से ”हिन्दुस्तान का दर्द” को  नुकसान

हिंदी ब्लॉग टिप्स ने आज ब्लॉग्गिंग को इतना आसान बना दिया है की कोई भी हाँथ पाँव मारने आ जाता है और एक घंटे में इस तरह का ब्लॉग तैयार कर लेता है जो वेबसाइट को मात देता हो तो आशीष जी से अनुरोध है की हम जैसे सीनयर ब्लोग्गरों को कुछ और अलग टिप्स मुहैया कराएँ जो हम लोगों को आज के ब्लोग्गरों के मुकाबले आगे रख सके.

आशीष जी और हिंदी ब्लॉग टिप्स बेहद अच्छा काम कर रहा है हम चाहते है की हिंदी ब्लॉग टिप्स हमारी समस्याओं को इसी तरह दूर करता रहे और ब्लॉग्गिंग के शिखर पर बिराजमान हो, जिन्हें हिंदी ब्लॉग टिप्स का पता मालूम ना हो वो यहाँ क्लीक करें और पहुँच जाएँ हिंदी ब्लॉग टिप्स पर…
हिंदी ब्लॉग टिप्स

किसी भी प्रकार की समस्या और सुझाब के लिए संपर्क करें-
संजय सेन सागर 

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जिंदगी को सुरीला और नशीला बनाएँ!!

इस बार सुखनसाज ब्लॉग की चर्चा कर रहे है रवींद्र व्यास जी,जिसे हम वेबदुनिया से साभार यहाँ प्रकाशित कर रहे है

यह एक सुरीला ब्लॉग है। यह एक नशीला ब्लॉग है। सुरीला इसलिए है कि यहाँ एक से एक फ़नकारों की महफिल सजी हैं। अपनी पुरकशिश और पुरनम आवाज़ के साथ। अपनी ही लय में मगन, सुनने वालों को भी मगन करती हुई। अपनी कलाकारी और गलाकारी के साथ। ये आवाज़ इतनी साफ है जैसे मीठे झील के पानी में आप अपनी आत्मा की झलक देख सकते हैं।

ये आवाज़ें इतनी महीन हैं कि इसमे कायनात की धीमी से धीमी आवाज सुनी जा सकती है। जैसे दिल टूटने की आवाज़ या फिर ओस की तरह टपकते आँसू की आवाज़। या विरह में किसी की आह की आवाज़। और यह नशीला इसलिए है कि यहाँ एक से एक आला दर्जे के शायरों का अंदाजे बयां हैं। दिल की बातें हैं, चाँद की बातें हैं, जुल्फों और रात की बातें हैं। मिलन की और विरह की बातें हैं। इश्क में फना हो जाने की और खुदा हो जाने की बाते हैं। यहाँ नाजुक खयाल हैं, बहते जज्बात हैं। दिल से निकली बातें हैं, दिल में उतरती बातें हैं।

यह सुखनसाज़ ब्लॉग है। यह सिर्फ ग़ज़लों का ब्लॉग है। यहाँ ग़ज़लें पढ़ीं भी जा सकती हैं और सुनी भी जा सकती हैं। ये इतनी सुरीली औऱ नशीली हैं कि आप बस खो जाएँ। सब भूल जाएँ। बस एक रूहानी सुकून यहाँ मिलेगा। जैसे जलते ज़ख्म पर किसी ने रूई का फाहा रख दिया हो। जैसे जलते बुखार में किसी ने ठंडे पानी की पट्टी रख दी हो।

जैसे भटकती रूह को किसी ने एक मुलायम पनाह दे दी हो। जैसे डूबते दिल को किसी ने नाजुक निगाह से थाम लिया हो। इस ब्लॉग को चार संगीतप्रेमी संचालित करते हैं-अशोक पांडे, यूनुस, मीत और संजय पटेल। ये चारों मिलकर हमारे जीवन की कर्कशता को थोड़ा कम करते हैं। चीखों और चिल्लाहटों से थोड़ा दूर ले जाते हैं। और जिंदगी को सुरीला और नशीला बनाते हैं।

यहाँ आपको मीर तकी मीर से गालिब का अंदाजे बयां मिलेगा। उनकी चुनिंदा ग़ज़लें मिलेंगी। फैज़ अहमद फैज़ की ग़ज़लें-नज़्में मिलेंगी तो अहमद फराज़ की नई जमीन पर कही गई ग़ज़लें भी मिलेंगी। नासिम काज़मी से लेकर अहमद नदीम काज़मी की चुनी हुई ग़ज़लें मिलेंगी।

यहाँ शायरों के बारे में बहुत ही आत्मीय ढंग से जानकारियाँ भी हैं। और इन तमाम शायरों को ये ग़ज़लें अज़ीम फ़नकारों की आवाज़ों में सुनने को मिलेंगी। यहाँ हाल ही में इस दुनिया से रुख़सत हुईं पाकिस्तानी गायिका इक़बाल बानो की आवाज में ग़ज़लें सुनी जा सकती हैं तो बेगम अख्तर की आवाज में ग़ज़ल का नशा चढ़ता महसूस किया जा सकता है। यहाँ शास्त्रीय गायिका शोभा गुर्टू हैं तो आबिदा परवीन भी। और हाँ मल्लिका पुखराज भी हैं। मेहंदी हसन हैं तो जगजीत सिंह भी और अहमद हुसैन मोहम्मद हुसैन भी हैं।

आशा भोंसले से लेकर मोहम्मद रफी और तलत महमूद की आवाज में भी ग़ज़लें सुनी जा सकती हैं। अहमद फराज़ के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए एक पोस्ट में कहा गया है कि वे अपनी ज़िन्दगी में शायरी का एक ऐसा मरकज़ बन गए थे जहाँ तक पहुँच पाना दीगर लोगों के लिए नामुमकिन सा लगता है। मैंने बार बार लिखा भी है कि रंजिशे ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, इस एक ग़ज़ल को मैं ग्लोबल ग़ज़ल ही कहता हूँ।

फ़राज़ साहब ने मुशायरों में होने वाली राजनीति के चलते स्टेज से हमेशा एक मुसल्सल दूरी बनाए रखी। जैसा कि होना चाहिए अदब की दुनिया के अलावा समाज और इंसानियत के हक़ में शायर और अदीब खड़े नज़र आने चाहिए सो फ़राज़ साहब हमेशा कमिटेड रहे।

जाहिर है, सत्ता से उनकी कभी नहीं बनी। भारत-पाकिस्तान की एकता और तहज़ीब के हवाले से अमन और भाईचारे की ख़िदमत उनकी ज़िन्दगी के उसूलों में शुमार रहा। बिला शक़ कहा जा सकता है कि फ़राज़ साहब के परिदृश्य पर लोकप्रिय होने के बाद ग़ज़ल को एक नया मेयार मिला। मौसीक़ी की दुनिया ने हमेशा उनकी ग़ज़लों का ख़ैरमक्दम किया और जिस तरह की मुहब्बत और बेक़रारी उनके कलाम के लिए देखी जाती रही वह किसी शायर को नसीब से ही मिलती है। इसके साथ ही उनकी एक मशहूर ग़ज़ल भी दी गई । आप भी मजा लीजिए-

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला हैं मुझे
दिल धड़कता नहीं तपकता है
कल जो ख़्वाहिश थी आबला है मुझे

हमसफ़र चाहिए हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे

जाहिर है यहाँ ग़ज़लों को पढ़ने, सुनने का मजा है। आप भी सुनिए। और जिंदगी को कुछ और सुरीला बना लीजिए। ये रहा इसका पता-

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