अभिलेख

नवगीत: नर-नारी -आचार्य संजीव ‘सलिल’

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कौन यहाँ नर?

नारी कौन?…

शब्द ब्रम्ह के

सभी उपासक,

सत-शिव-सुन्दर

के आराधक.

मन न दुखाएँ

कभी किसी का

बेहतर है रह जाएँ मौन.

कौन यहाँ नर?

नारी कौन?…..

खुसरो मीरां में क्या अंतर?

दोनों पढें प्रेम का मंतर.

सिर्फ एक नर- परम-आत्मा

जाने आत्मा नारी जौन.

कौन यहाँ नर?

नारी कौन?…..

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