अभिलेख

विवादों की गंगा में हाथ धोते हमारे लेखक

भारतीय सिनेमा एक बहुत ही शानदार दौर से गुजर रहा है। एक ही माह के भीतर हमारे पास कॉस्टच्यूम ड्रामा वीर, ग्रामीण प्रेम कहानी इश्किया, देशभक्ति पर आधारित संगम, ऐतिहासिक फिल्म राजा हरिश्चंद्र ची फैक्ट्री और मीडिया को उजागर करती रण फिल्मंे हैं। लेकिन इनमें से कुछ को लेकर विवाद भी पैदा हो गए हैं।
रामगोपाल वर्मा को वैसे भी विवादों से कुछ ज्यादा ही लगाव रहा है। रण की रिलीज के दस दिन पहले ही एक फ्रीलांस पत्रकार ने फिल्म निर्माता को यह दावा करके बॉम्बे हाईकोर्ट में खींच लिया कि फिल्म उसकी कहानी ‘ब्रेक के बाद’ पर आधारित है। रिलीज को खतरे में डालने के बजाय फिल्म निर्माताओं को कॉपीराइट से जुड़े विवाद को निपटाने में ही भलाई नजर आई। लेकिन वर्मा इस फैसले से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इन दिनों अपनी किताब को लोकप्रिय करने का यह अच्छा फंडा बन गया है कि फिल्म निर्माताओं पर कहानी चुराने का आरोप मढ़ दो।
वीर के निर्देशक अनिल शर्मा भी वर्मा से सहमत हैं, क्योंकि फिल्म के निर्माता विजय गलानी और अभिनेता-लेखक सलमान खान के साथ उनके खिलाफ भी गुड़गांव के एक लेखक की किताब से एक संवाद लेने की वजह से कोर्ट केस दायर किया गया है। लेखक पवन चौधरी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया है कि फिल्म में एक लाइन उनकी किताब ‘सफलता की त्रिवेणी : चाणक्य का राजनीतिक ज्ञान’ से ली गई है। यदि थ्री इडियट्स की सफलता के लिए चेतन भगत को 1k0 लाख रुपए का बोनस दिया गया और सोनल मेहता को उनका मुंह बंद रखने के लिए रण के निर्माता ने भारी धनराशि दी तो चौधरी ने वीर के निर्माताओं से 20 लाख रुपए की मांग की है। फिल्म निर्माताओं के साथ लेखकों की लड़ाई लड़ने वाले अंजुम राजाबाली का कहना है कि अनुंबधों में पारदर्शिता का वक्त आ गया है।
इतिहास खुद को दोहराता है। कुछ साल पहले तीन फिल्म निर्माता भगतसिंह पर फिल्म बना रहे थे। इस बार बारी चटगांव विद्रोह के महान नायक सूज्र्यसेन की है। उन पर दो फिल्में बन रही हैं। आशुतोष गोवारीकर अभिषेक बच्चन को लेकर खेलें हम जी जान से बना रहे हैं, जबकि सोनाली बोस ने मनोज वाजपेयी को क्रांतिकारी की भूमिका के लिए चुना है। उम्मीद करें कि भगतसिंह के विपरीत सूज्र्यसेन की फिल्में किसी विवाद में नहीं फंसेंगी।
अक्सर फिल्में वास्तविक घटनाओं का अनुसरण करती हैं, लेकिन कभी-कभार फिल्मों से भी कुछ करने की प्रेरणा मिल जाती है। चक दे इंडिया में एक करिश्माई हॉकी कोच भारतीय महिला हॉकी की कमियों को दूर करके उसे विश्व चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन ‘रियल लाइफ’ में ‘रिल लाइफ’ का अनुसरण करते हुए भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने शाहरुख खान की अनुपस्थिति में भी एकजुट होकर अपने हक की आवाज उठाई। महिला खिलाड़ियों ने अपने साथ भेदभाव का विरोध करते हुए भोपाल के एक बैंक में संयुक्त खाता खुलवाया है। शाहरुख खान, यदि आपने इसके बारे में पढ़ा है तो बैंक खाते में एक चेक आपकी ओर से भी पहुंचना चाहिए।
लेखिका की हिंदी सिनेमा पर नौ किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

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क्या स्टार प्लस पर प्रसारित हो रहे रियलिटी शो "सच का सामना" से घरों में विवाद छिड़ेगा?

ओमप्रकाश



क्या स्टार प्लस पर प्रसारित हो रहे रियलिटी शो “सच का सामना” से घरों में विवाद छिड़ेगा?

प्रोग्राम में पार्टिसिपेंट से उनकी पास्ट लाइफ के बारे बहुत निजी और कंट्रोवर्सियल सवाल पूछे जा रहे हैं जैसे एक लेडी से पूछा (१५जुलाइ ०९) अगर आपके हसबैंड को पता न चले तो क्या आप दुसरे मर्द के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहेंगी?लेडी ने जवाब दिया “नहीं” जबकि पालीग्राफ मशीन के सामने लेडी का जवाब “हां” दर्ज है.एक आदमी से सवाल पूछा गया “क्या आपके दिल मैं कभी अपनी साली से जिस्मानी रिश्ते बनाने की ख्वाहिश होती है?उसने जवाब दिया “नहीं” मशीन कहती है “हां”. गेम में पार्टिसिपेट करने के बाद घर वापसी में उनके रिश्तों में ज़बरदस्त तल्खी आना स्वाभाविक है और घरों में बवाल शुरू होगा.

ऊपर से माडर्न दिखना एक बात है लेकिन निजी ज़िन्दगी में पराये मर्द या लेडीज़ से क्लोज़ रिलेशन बनाने की इजाज़त देना या इसे स्वीकार करना हमारे इंडियन कल्चर में नामुमकिन बात है. आगे पढ़ें के आगे यहाँ

जूजू के पीछे के रियल चेहरे

हिन्दुस्तान का दर्द आज आपको बताने जा रहा है उन कलाकारों के बारे में जिनके काम की बदोलत ”जूजू” ने सभी के दिलों मे जगह बना ली है..तो जानिए इन कलाकारों के बारे में और आपको यह जानकारी कैसी लगी अपनी राय से अबगत जरुर कराएँ

बहुत ही क्यूट, अलग, और मज़ेदार से दिखने वाले जूजू असल में इंसान ही हैं, बस उनको जूजू के कॉस्टयूम पहना दिए गए है। पर ये करना इतना आसान नहीं था, जिस तरह का कॉस्टयूम और एक्ट शूट किए जाने थे उनमे हर मुमकिन कला और रचनात्मकता का प्रयोग किया जाना था। जूजू के पीछे के असल कलाकार कौन है आइये जानते हैं –

प्रार्थना सुनिए विज्ञापन- इस विज्ञापन दो जूजू एक पेड़ से लटके दिखाए गए हैं और नीचे एक खाई है। उनमे से एक गिर जाता है और दूसरा अपना फोन निकलकर एक प्रार्थना सुनाता है जिस से की उस के दोस्त की आत्मा को शांति मिल सके। इस विज्ञापन में हैं ये दो कलाकार-

रोमिंग विज्ञापन- इस में एक जूजू अपनी गर्लफ्रेंड को खुश करने के लिए फ़ोन पर उससे बातें करता रहता है चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में हो। इस विज्ञापन में सबसे बड़ी चुनौती थी एफ्फिल टावर और पिरामिड को जूजू से साइज़ के हिसाब से बनाना। इस एड में भी यही दो कलाकार है



क्रिकेट अलर्ट विज्ञापन- इस फिल्म में चार जूजू दीवार पर बैठकर क्रिकेट का मैच देख रहे है और फिर किसी बात पर सब हँसने लगते हैं। तभी एक जूजू के बॉल लग जाती है और वो दीवार पर से गिर जाता है। इस एड में इन चार कलाकारों ने किया है काम-



बिजी मेसेज विज्ञापन- ये एड भी बड़ा मजेदार है। एक जूजू मगरमच्छ को छेड़ता है पर अगले ही पल मगरमच्छ उसे अपने मुंह में ले लेता है और जूजू का फ़ोन बजता रहता है। अलग अलग भाव दिखने के लिए कई तरह के हाव-भाव बना कर कलाकारों पर चिपकाये गए हैं। रंगाका ने इसमें उस मगरमच्छ का रोल किया है।



अनवांटेड काल्स विज्ञापन- एक जूजू जोड़ी को बार-बार एक मूंफली बेचने वाला जूजू परेशान करता है। तभी मेल जूजू उस वेंडर को जोर से घूंसा मारता है। वेंडर बनी स्टेसी को घूंसा पड़ने पर जोर से गिरती हैं। इस विज्ञापन में ये तीन कलाकार हैं-

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