अभिलेख

पगलवा कई prem

ई मर्द के महत्वाकांक्षा तू
भाप न पौलू साए म
वादा के के चंपत भैलू
दाग लागौलू माथे माँ
तू दुसरे के बाह पाकर लहालू
हम रास्ता तोहरी ताकत बातें
ई कौन शास्त्र माँ लिखा बा प्रिये
वादा कई के छोर दिया
मन्दिर माँ इतनी कसम खेलु
धागा बंधिव हाथे माँ
माला तोहरे नाम के हम
जपत रहे दिन रात
या तो तू अब आय जेबू,,
या हम देबय आपण जान//

यह प्रविष्टि मार्च 30, 2009 को s में पोस्ट की गई थी। 1 टिप्पणी