अभिलेख

आधी रात को सूरज का नज़र आना!

नॉर्वे में आधी रात को भी सूरज कैसे दिखाई देता है. यह सवाल किया है ग्राम बभनगामा मधेपुरा बिहार के चन्द्रशेखर कुमार ने.
चन्द्रशेखर जी, नॉर्वे में ही नहीं, आर्कटिक घेरे के उत्तर में और अंटार्कटिक घेरे के दक्षिण में पड़ने वाले सभी इलाकों में गर्मियों के मौसम में आधी रात को भी सूरज दिखाई देता है. अगर मौसम साफ़ हो तो यहां 24 घंटे सूरज नज़र आता है. आर्कटिक घेरे के उत्तर में पड़ने वाले देश हैं कनाडा, अमरीका का राज्य अलास्का, ग्रीनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, फ़िनलैंड, रूस और आइसलैंड जबकि अंटार्कटिक घेरे के दक्षिण में कोई बसावट नहीं है. अब आपका सवाल कि ऐसा क्यों होता है. शायद आप जानते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई घूमती है. इसलिए गर्मियों के मौसम में सूरज डूबता ही नहीं. उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव पर तो सूरज वर्ष में एक बार उगता है और एक बार डूबता है. जिसका परिणाम यह होता है कि लगभग छह महीने दिन रहता है और छह महीने रात.
खेड़ी जलाब, हिसार, हरियाणा से दिलबाग सिंह शेओरन और बिलासपुर से पिंकी वैष्णव पूछते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग क्या है. अमरीका से ज़ुबैर ने पूछा है कि ग्रीनहाउस गैसें क्या हैं. माइलु आंगलांग असम से लक्ष्मी नारायण अधिकारी का सवाल है कि कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैसें तापमान बढ़ाने में कैसे मदद करती हैं और ग्राम परसोतिमा, देवरिया उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार प्रजापति ने कार्बन पॉल्यूशन के बारे में पूछा है.
ग्लोबल वॉर्मिंग का मतलब है पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि. और यह वृद्धि हो रही है ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव से. ग्रीन हाउस कांच के घर को कहते हैं. ठंडे प्रदेशों में बाग़ बगीचों में अक्सर कांच के घर बने होते हैं जिससे उनके भीतर के पौधों को ठंड से बचाया जा सके. कांच के ये घर सूर्य की ऊर्जा को भीतर रोक लेते हैं. पृथ्वी के चारों तरफ़ जो वातावरण है उसमें बहुत सी गैसें हैं जो कांच के घर की तरह ही काम करती हैं और पृथ्वी को गर्म रखती हैं. मुश्किल तब होती है जब इनकी मात्रा बढ़ने लगे. प्रमुख ग्रीन हाउस गैसें हैं कार्बन डाइऑक्साइड जो जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पैट्रोल, गैस आदि को जलाने से पैदा होती है, मीथेन जो बायोगैस है, नाइट्रस ऑक्साइड और सीऐफ़सी गैसें.
पाकिस्तान के पेशावर शहर से हमारे श्रोता अफ़ज़ल हुसैन बुख़ारी ने बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के ज़रिए ख़त लिखा है जिसमें उन्होंने हिंदुओं के त्योहार करवा चौथ के बारे में जानकारी मांगी है.
बुख़ारी साहब, औरतें अपने पति की ख़ुशी और लंबी उम्र के लिए यह त्योहार मनाती हैं. इसमें उपवास रखा जाता है यानी औरतें सारा दिन कुछ खातीपीती नहीं हैं और फिर रात में चाँद देखकर और पूजा करके ही उपवास तोड़ती हैं. इस दिन ख़ूब पकवान बनाए जाते हैं. शाम के समय औरतें सुंदर कपड़े पहन कर साजसिंगार करती हैं और फिर मिलजुल कर करवे की पूजा की जाती है. बड़ीबूढ़ियाँ व्रत कथा या करवा चौथ की कहानी सुनाती हैं. जब चाँद निकलता है तो उसे छलनी में से देखा जाता है और पानी पी कर व्रत तोड़ा जाता है. उसके बाद सब खाना खाते हैं.
सार्स नामक बीमारी किस वायरस से फैलती है यह सवाल लिख भेजा है ग्राम खरौनी, बलिया उत्तर प्रदेश से अतुल कुमार सिंह ने
सार्स का पूरा नाम है सीवियर एक्यूट रैस्पिरेटरी सिन्ड्रोम यानी सांस का गंभीर लक्षण. यह बीमारी कोरोना वायरस से होती है. यह वायरस हवा के ज़रिए फैलता है. अगर किसी को यह बीमारी है तो उसके छींकने या खांसने से यह वायरस दूसरे में प्रवेश कर जाता है. इसके लक्षण आम फ़्लू जैसे ही होते हैं. तेज़ बुख़ार, कंपकंपी, मांसपेशियों में दर्द, सरदर्द, सूखी खांसी, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ़ और कभीकभी गंभीर अतिसार. इसके वायरस के शरीर में प्रवेश के दो से 7 दिनों के भीतर लक्षण उभरने लगते हैं. यूं तो इसका इलाज अभी मालूम नहीं है लेकिन निमोनिया की दवाएं या वायरल विरोधी दवाओं का प्रयोग किया जाता है.
एक सवाल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली के आशीष कुमार दास का. पूछते हैं कि महात्मा गांधी चंपारन, बिहार कब गए थे.
अंग्रेज़ों द्वारा चंपारन में हज़ारों भूमिहीन किसानों, बंधुआ मज़दूरों और ग़रीब किसानों को खाद्यान्न की खेती की जगह नील की खेती करने पर मजबूर किया जा रहा था. इसकी एवज़ में उन्हें बड़ा मामूली सा मुआवज़ा दिया जाता था. नतीजा ये हुआ कि वे बदहाली का जीवन जी रहे थे. ऊपर से अंग्रेज़ों ने भारी कर लगा रखे थे जिन्हें वो और बढ़ाना चाहते थे. गांधी जी उन्हीं किसानों की शिकायतें सुनने के लिए अप्रैल, 1917 में चम्पारन गए थे.
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व्योम श्रीवास्तव की सदयस्ता समाप्त कर दी गयी है

व्योम जी हिन्दुस्तान का दर्द ब्लॉग मे एक अच्छे लेखक की हैसियत से जाने जाते है लेकिन आजकल उन्होंने जिस तरह की पोस्ट ब्लॉग पर पोस्ट की बह हमारा मकसद नहीं थी सो उनकी सदस्यता समाप्त की जाती है,ऐसा हीं है की यह अचानक किया जा रहा है बल्कि पहले भी उन्हें खुद को बदलने का समय दिया गया था ,लेकिन वो अपने फैसले पर अडिग थे !उनके इस रवैये को आप चंद घंटों पहले की गयी पोस्ट पर समझ सकते है , उनकी इस बजह से ”हिन्दुस्तान का दर्द” ब्लॉग के अच्छे १५ लेखक इस ब्लॉग को छोड़ चुके है बजह बस इतनी थी की बह भी यहाँ मेरी तरह अश्लीलता नहीं चाहते थे !खैर जो हुआ सो ठीक हुआ ! मैं सबको बताना चाहता हूँ की व्योम जी शायद भोपाल के ऍम पी नगर मे रहते है और उनका मोबाइल नंबर है ०९६१७३३९३११ …. उनका मोबाइल नंबर यहाँ प्रकाशित करने की बजह है की कुछ लोग व्योम और संजय को एक ही व्यक्ति समझते थे जो गलत थे !व्योम जी को भगवान् सद्बुद्धि दे हम सब यही दुआ करते है !मैं चाहता हूँ की आप सभी मिलकर एक अच्छे समाज की नींव रखें जिसमे मुझे भी सहयोग करने का अवसर मिले हमारा लक्ष्य अश्लीलता या गाली गलोच नहीं है !
संजय सेन सागर
जय हिन्दुस्तान -जय यंगिस्तान

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