अभिलेख

मेरी एक दोस्त के पन्ने से

बिना वजह जो ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते हैं उनकी बात अलग होती है, उनके ख्याल,उनके मर्म ,उनकी तपिश,उनकी कशिश ख्यालों के पर्वत पर बादलों सी उमड़ती है…..बिना वजह !बिना वजह कोई इतनी गहराई रख जाता है….बिना वजह कोई इतना अच्छा लिख लेता है……..वजह तो खामोश होते हैं !